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संस्कृति क्या है? अर्थ परिभाषा व विशेषताएं। Sanskriti Kya Hai. Arth Paribhasha Va Visheshtaen In Hindi .rstbox

संस्कृति क्या है? अर्थ परिभाषा व विशेषताएं। Sanskriti Kya Hai. Arth Paribhasha Va Visheshtaen In Hindi .rstbox

नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट पर आप लोगों का बहुत-बहुत स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आप लोगों को समाज से जुड़े हुए अनेक प्रकार के पोस्ट पढ़ने को मिलते हैं। उसी तरह से आज हम आप लोगों के समक्ष एक नया पोस्ट के साथ उपस्थित हो रहे हैं। आज की आर्टिकल में हम आप लोगों को संस्कृति(culter)के बारे में जानकारी देना चाहते हैं संस्कृति समाज से जुड़ा हुआ एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो प्रत्येक व्यक्ति को जानना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि हम समाज से जुड़े हुए हैं बिना समाज के किसी का भी जीवन असंभव नहीं है। परंतु संस्कृति सिर्फ मनुष्य नहीं पाई जाती है। इसलिए मानव जाति के लिए संस्कृति बहुत महत्वपूर्ण अंग होती है जिस तरह समाज में रहकर व्यक्ति अपने अनेक प्रकार के जरूरतों को पूरा करता है उसी प्रकार संस्कृति के द्वारा एक दूसरे के प्रति इस तरह का व्यवहार करना चाहिए तथा कार्य करने के नियम, मूल्य, मानक, व्यवहार आदि सभी को मिलाकर संस्कृति का निर्माण होता है। संस्कृति के द्वारा व्यक्ति को समाज में रहकर जीवन जीने की कला की सीख मिलती है जिससे हमारा जीवन अत्यंत ही सरल और सुव्यवस्थित हो जाता है तथा समाज में एक सुदृढ़ परंपरा संचालित हो जाती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती है और बहुत ज्यादा टिकाऊ और स्थिर हो जाती है। अतः आज की पोस्ट में हम संस्कृति से जुड़े हुए तमाम प्रश्न जैसे संस्कृति किसे कहते हैं? संस्कृति का अर्थ क्या होता है? संस्कृति की परिभाषा तथा विशेषताएं क्या क्या होते हैं ?आदि तमाम प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमारे पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

संस्कृति क्या है? अर्थ परिभाषा व विशेषताएं। Sanskriti Kya Hai. Arth Paribhasha Va Visheshtaen In Hindi .rstbox

संस्कृति किसे कहते हैं what’s tradition

प्रत्येक व्यक्ति समाज से जुड़ा हुआ होता है जिसके कारण मनुष्य का समाज से एक घनिष्ठ संबंध होता है। समाज पशु ,पक्षियों, जानवरों ,कीड़ों, मकोड़ों का भी होता है परंतु संस्कृति मानव जाति में ही पाई जाती है। समाज में रहकर हम कुछ इस प्रकार के व्यवहार रहन-सहन और खान-पान तथा रीति-रिवाजों को अपनाते हैं जो समाज के अनुकूल होता है तथा आने वाली पीढ़ी के लिए लाभकारी होता है तथा रीत रिवाजों खान-पान रहन-सहन और व्यवहार तथा नियम को समाज द्वारा पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त हुई होती है। अतः रीति-रिवाजों व्यवहार नियम कानून रहन-सहन खानपान कि एक मजबूत ढांचा होती है जो संस्कृति कहलाती है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि एक व्यक्ति का अपना एक नियम होता है अपनी विचारधारा होती है परंतु कुछ नियम व्यवहार और विचार धाराएं समाज के अनुकूल होते हैं और कुछ समाज के प्रतिकूल होते हैं। इसलिए जो विचारधारा नियम कानून समाज के अनुकूल होते हैं वह हमारे समाज में बहुत काफी दिनों तक विद्यमान रहते हैं जिससे वह और भी अधिक जटिल हो जाते हैं उन नियमों और मूल्य तथा विचारधाराओं को छोड़ने की क्षमता कोई नहीं करता है इन्हीं सब को जोड़कर संस्कृति का निर्माण होता है।

संस्कृति का अर्थ which means of tradition

संस्कृति एक हिंदी शब्द है जिसे अंग्रेजी में culter भी कहा जाता है। हम समाज में रहते हैं अनेक प्रकार के ज्ञान आदर्श, नियम ,कानून रीति रिवाज, प्रथाएं, कला इत्यादि बहुत कुछ सीखते हैं जिन्हें संस्कृति कहा जाता है। संस्कृति के अंतर्गत हमारे वह सभी कार्य सम्मिलित होते हैं जिनके द्वारा समाज को कोई भी हानि नहीं होती है तथा समाज के द्वारा उस कार्य को पूर्ण मान्यता प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए आप सुबह उठकर अपने माता-पिता का पैर छूते हैं इस आदर्श को आपने समाज में रहकर सीखा है और इसे समाज पूर्ण रूप से मान्यता देती है इसलिए यह हमारी संस्कृति कहलाती है यह संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है अतः यह और भी अधिक जटिल हो जाती है जिसका खंडन करना बहुत ही मुश्किल और नामुमकिन होता है।

संस्कृति की परिभाषा definition of tradition

प्रतेक समाज की अलग अलग संस्कृति होती है इसलिए यह कहना जरा मुश्किल है कि संस्कृति किसे कहा जाता है क्योंकि किसी समाज में अपने से बड़ों का पैर छूना एक आदर्श माना जाता है तो किसी समाज में अपने से बड़ों को हाय हेलो किया जाता है इस प्रकार से अलग अलग समाज में अपनी अलग अलग संस्कृति पाई जाती है परंतु भारतीय समाज में लगभग सभी जगह पर एक ही संस्कृति मिलती-जुलती दिखाई देती है संस्कृति को और भी बेहतर तरीके से समझने के लिए अनेक प्रकार के विद्वानों का मत को पढ़ना अनिवार्य है।

रेडफील्ड के अनुसार-“समाज में किया जाने वाला ऐसा व्यवहार और ज्ञान जो उस समाज में परंपरागत रूप से चलता रहता है उसे संस्कृति कहा जाता है और यह संस्कृति उसकी अपनी एक खासियत या विशेषता बन जाती है।”

बोगार्ड्स के अनुसार-“किसी समाज में की जाने वाली व्यवहार और रीति-रिवाजों को संस्कृति कहा जाता है।”

फेयर चाइल्ड के अनुसार-“समाज में सामाजिक रूप से प्राप्त ऐसे व्यवहार और प्रतिमानो के कुल योग को संस्कृति कहा जाता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं को पढ़ने के पश्चात यह पता लगता है कि समाज में प्रचलित ऐसी प्रथाएं रीति रिवाज विचारधाराएं कार्य करने की क्षमता यथा नियम कानून इत्यादि जो परंपरागत रूप से बहुत ज्यादा दिनों से चलती आ रही है और पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती हैं इन्हीं व्यवहार विचारधाराएं तथा रीत रिवाज के एक जटिल ढांचे को संस्कृति का नाम दिया गया है।

संस्कृति की विशेषताएं Options of Tradition

संस्कृति को और भी बेहतर ढंग से समझने के लिए संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख इस पोस्ट में कर रहा हूं इसे आप लोग जरूर पढ़ें संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।

1-संस्कृति समाज से संबंधित है

संस्कृति समाज में रहकर सीखा जाता है जिसके कारण बिना समाज के संस्कृति का कोई भी अस्तित्व नहीं रहता है इसलिए संस्कृति और समाज का एक दूसरे के प्रति बहुत ही घनिष्ट संबंध होता है। संस्कृति के बिना समाज आधा अधूरा माना जाता है क्योंकि यदि समाज में रहने वाले व्यक्ति कि कोई अपनी संस्कृति नहीं है उसकी समाज में कोई भी अस्तित्व नहीं होता है।

2-भौतिक तथा अभौतिक होती है

संस्कृति का समाज में भौतिक तथा अभौतिक दोनों रूप दिखाई देने को मिलता है। जैसे-घर मकान बनाने के तरीके तथा कपड़े पहनने के तरीके भौतिक संस्कृति कहलाती है एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना पशुओं बच्चों और वृद्धों के प्रति दया की भावना एक भौतिक संस्कृति होती है। इस प्रकार से संस्कृति हमारे समाज में दोनों रूपों से दिखाई देती है तथा दोनों का ही अपने अपने स्थान पर एक विशेष महत्व होता है।

3-संस्कृति संगठित होती है

संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई देने के बाद भी यह एक संगठित व्यवस्था होती है। उदाहरण के लिए आप मान लीजिए कि ग्रामीण समाज में माता-पिता का पैर छूना एक आदर्श माना जाता है परंतु वही नगरीय समाज में माता-पिता से अधिक मात्रा में हाय हेलो का प्रचलन होता है जिसे नागरिक समाज में एक आदर्श माना जाता है परंतु इन सभी बातों को छोड़कर एक भारतीय संस्कृति की दृष्टि से देखा जाए तो यह माना जाता है कि माता पिता का आदर करना भारतीयों की एक मुख्य संस्कृति होती है। संस्कृति प्रत्येक व्यक्ति की अलग अलग विचारधारा के अनुसार होती है परंतु उन सभी का एक संगठित रूप में दिखाई देने को मिलता है।

4-सामाजिक मान्यता प्राप्त

संस्कृति समाज से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके द्वारा समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृति का एक हिस्सा माना जाता है। संस्कृति को समाज द्वारा पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त होता है क्योंकि संस्कृति के नियम कानून तथा व्यवहार और आदर्श कलाएं समाज के अनुकूल होती है जो समाज को कोई भी हानि नहीं पहुंच जाती हो इसलिए समाज के द्वारा पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए एक विवाह हिंदू समाज की एक विशेष संस्कृति है जो समाज के द्वारा पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त होती है यदि कोई व्यक्ति इसके विरुद्ध कई विवाह करता है तो इसे संस्कृति नहीं माना जाता है बल्कि वह संस्कृति की अवहेलना करता है ऐसी स्थिति में हमारी संस्कृति का ह्रास होने लग जाता है।

5-संस्कृति में सामाजिक गुण पाए जाते हैं

संस्कृति समाज से गहरा संबंध रखता है संस्कृति मानव समाज की एक प्रमुख विशेषता होती है। संस्कृति में सामाजिक गुण पूर्ण रूप से विद्यमान होते हैं क्योंकि समाज के द्वारा इसे पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त होती है। संस्कृति में सामाजिक गुण पाए जाते हैं जो समाज के द्वारा पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त होते हैं और उस समाज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति उसका विरोध नहीं कर सकता है।

6-संस्कृति समाज में सीखी जाती है

संस्कृति कोई भी व्यक्ति जन्मजात लेकर नहीं आता है संस्कृति को व्यक्ति समाज में रहकर सीखता है। इसलिए जो व्यक्ति जिस प्रकार के समाज में रहता है वह उस प्रकार की संस्कृति को सीखता है। यह संस्कृति एक दूसरे से अवश्य संबंधित होती है क्योंकि यह एक दूसरे के द्वारा की जाने वाली विचारधाराओं और व्यवहार के द्वारा सीखी जाती है उदाहरण के लिए आप मान लीजिए कि कृषक समाज में रहने वाले लोगों के घर मकान रहने की व्यवस्था पहनावा दूसरे से बहुत ज्यादा मिलती-जुलती हुई होती है।

7-पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है

संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होने की एक व्यवस्था है जो कभी भी समाप्त नहीं होती है हो सकता है इनमें समाज में बदलाव होने के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव अवश्य हो जाता है परंतु संस्कृति नष्ट नहीं हो सकती। कोई भी व्यक्ति अपनी संस्कृति को अपने पूर्वजों से सीखता है तथा उसके आने वाली पीढ़ी उसके द्वारा अपनी संस्कृति को ग्रहण करते हैं जिसके कारण यह पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती है। प्रकार से अत्यधिक पुरानी और जटिल व्यवस्था हो जाती है जो समाज की एक खासियत बन जाती है।

संस्कृति के प्रकार sorts of tradition

संस्कृति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।

1-भौतिक संस्कृति materials tradition

समाज में प्रचलित एक ऐसी संस्कृति जो आंखों से पूर्ण रूप से देखी जा सकती है भौतिक संस्कृति कहलाती है। भौतिक संस्कृति के अंतर्गत घर बनाने के तरीके बाल कटाने के तरीके कपड़े पहनने के तरीके इत्यादि तमाम बातें सम्मिलित होते हैं जो भौतिक संस्कृति कहलाते हैं।

2-आभौतिक संस्कृति unmaterial tradition

संस्कृति जिनको हम अपनी आंखों के द्वारा नहीं देख सकते हैं आभौतिक संस्कृति कहलाती है अभौतिक संस्कृति के अंतर्गत हमारे आचार विचार एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना तथा एक दूसरे की मदद की भावना बूढ़े बुजुर्गों तथा बच्चों के प्रति दया की भावना जो हमें आंखों से दिखाई नहीं देती है अभौतिक संस्कृति कहलाती है।

संस्कृति का महत्व worth of tradition

संस्कृति का समाज से बहुत घनिष्ठ संबंध होता है इसलिए समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए संस्कृति काफी ज्यादा महत्व रखता है। समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृति का महत्व जानना बहुत ही आवश्यक है अतः आइए संस्कृति के महत्व को विस्तृत रूप से समझते हैं।

1-समाज का संचालक

संस्कृति समाज के संचालन में बहुत ज्यादा योगदान देता है क्योंकि जब भी हमें कोई कार्य करना होता है तो हम अपने संस्कृति के अनुसार अपने कार्य को करना आरंभ करते हैं जिससे समाज पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है और दिन प्रतिदिन समाज रूप से संचालित रहता है और समाज में विघटन की समस्या उत्पन्न नहीं होता है।

2-सामाजिक विघटन को रोकने में सहायक

प्रत्येक संस्कृति में उस समाज के सामाजिक गुण निहित होते हैं जिसके कारण समाज के ऊपर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है इसलिए इस संस्कृति के द्वारा सामाजिक विघटन को काफी हद तक रोका जा सकता है।

निष्कर्ष conclusion

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि समाज में रहकर जब व्यक्ति अपने ज्ञान गुण कला आचार विचार तथा व्यवहार को समाज के प्रतिकूल करता है तो वह संस्कृति कहलाती है। संस्कृति को अंग्रेजी में कल्चर भी कहा जाता है। प्त्येक समाज की अपनी-अपनी अलग अलग संस्कृति होती है। संस्कृति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है जिसमें पहला भौतिक संस्कृति तथा दूसरा भौतिक संस्कृति होती है भौतिक संस्कृति के अंतर्गत हमें घर बनाने के तौर तरीके कपड़े पहनने के तरीके रहन सहन इत्यादि सभी भौतिक संस्कृति कहलाते हैं जबकि अभौतिक संस्कृति के अंतर्गत हमारे आचार विचार ज्ञान कला रीति रिवाज इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है जो आंखों के द्वारा दिखाई नहीं देते हैं। संस्कृति की अनेक विशेषताएं होती हैं जो उसे पीढ़ी दर पीढ़ी हां स्थानांतरित करने के लिए विवश कर देती हैं इस प्रकार से यह अत्यधिक जटिल होती चली जाती है जिसे खंडित करने की क्षमता किसी में भी नहीं होती है।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आप लोगों से विदा लेता हूं फिर मिलेंगे अगली पोस्ट के साथ। हमारी पोस्ट आप लोगों को कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं, धन्यवाद।

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