in

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के कारण (Bhartiya Krishi Ke Piche Pan Ke Karan)

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के कारण (Bhartiya Krishi Ke Piche Pan Ke Karan)

नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट पर आपका बहुत-बहुत स्वागत है आज हम बात करेंगे भारतीय किसानों के बारे में क्योंकि हम भी एक भारतीय किसान के परिवार से हैं जिसके कारण भारत में किसानों की क्या-क्या समस्याएं हैं? उन सभी को ध्यान में रखते हुए आज यह पोस्ट हमने भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के क्या क्या कारण है? इसके बारे में लिख रहा हूं ताकि प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय किसानों के समस्याएं और उनके पिछड़ेपन के क्या कारण है उनकी समस्याओं को समझ सके इन्हें दूर करने का कोई प्रभावी तरीका अपनाया जा सके जिससे भारत एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अग्रसर हो सके। भारत एक कृषि प्रधान देश है क्योंकि भारत में लगभग 70% जनसंख्या सिर्फ कृषि पर निर्भर है जिसके कारण कृषि को अत्यंत प्रभावी रूप से सक्षम हो पाना बहुत ही आवश्यक है यदि भारत में कृषि की समस्याओं में सुधार नहीं होता है तो भारत विकसित देशों की तुलना में खड़ा होने में सक्षम नहीं हो पाएगा इसलिए सरकार को तथा प्रत्येक व्यक्ति को किसानों के बारे में जरूर सोचना चाहिए अतः आदमी इस पोस्ट में भारतीय कृषि की क्या-क्या समस्याएं हैं और इनके पिछड़ेपन के क्या-क्या कारण हैं जिनके द्वारा भारत में कृषक समाज अत्यंत दुखी और समस्या से युक्त जीवन व्यतीत कर रहा है।

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के कारण (Bhartiya Krishi Ke Piche Pan Ke Karan)

1-सिंचाई के साधनों का अभाव sinchai ke sadhanon ka abhav

भारत में लगभग 70% जनसंख्या सिर्फ कृषि पर ही निर्भर है जिसके कारण भारत को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है यह अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा माना जाता है परंतु कृषि के लिए पानी की उचित व्यवस्था होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि फसलों का मुख्य भोजन पानी होता है। भारत में सिंचाई के लिए किसान मानसून पर निर्भर होते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि कभी-कभी तो फसलों को पानी ना मिल पाने के कारण सूख जाते हैं और किसानों को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ जाता है। जिसके कारण किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।

2-प्राकृतिक आपदाएं (prakrutik aapdaen)

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन मैं प्राकृतिक आपदाओं का एक मुख्य भूमिका होती है आपने देखा होगा कि कभी-कभी फसल पक कर तैयार हो जाती हैं उसी समय  ओले या बरसात हो जाने के कारण फसल नष्ट हो जाते हैं और किसान हाथ मल कर रह जाते हैं क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं में किसी का भी जोर नहीं चलता है जिसके कारण भारत में प्राकृतिक आपदाएं कृषक समाज को काफी ज्यादा हानि पहुंचाती हैं जिसके कारण किसान की 6 महीने की कमाई नष्ट हो जाती है। अभी हाल ही में आपने देखा होगा कि बिहार में बाढ़ के कारण तमाम जनधन को हानि हुई है जिसमें कृषक समाज के द्वारा बोले गए फसल भी नष्ट हो गए और पानी भर जाने के कारण लंबे समय तक खेतों में कुछ हुआ ही नहीं हो पाई जिसका नतीजा आप स्वयं समझ सकते हैं कि इससे समाज का जीवन स्तर नीचे हो जाता है।

3-परंपरागत खेती (paramparagat kheti)

भारत में कृषि के क्षेत्र में पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा सुधार दिखाई देने को मिलता है परंतु आज भी कुछ कृषक समाज ऐसे हैं जो परंपरागत खेती को भी अपनाते हैं। परंपरागत खेती के अंतर्गत वह अपनी द्वारा उत्पादित किए गए पुराने बीज को अपने खेतों में बुवाई करते हैं और गाय भैंस के गोबर से बने हुए खाद का उपयोग करते हैं और सिंचाई के लिए मानसून के ऊपर निर्भर होते हैं इन सभी के द्वारा अंत में जब फसल तैयार होती है तो उनका उत्पादन इस प्रकार से होता है की तमाम लोगों को तो खाने भर के लिए भी उत्पादन नहीं हो पाता है जिसके कारण उनका जीवन स्तर ऊपर नहीं उठ पाता है और कृषि की परिस्थिति खराब ही रहती है।

4-फसलों की कीमतों पर हस्तक्षेप faslon ki kimaton per hastakshar

भारतीय किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें फसलों की कीमत फसलों के उत्पादन करने वाला व्यक्ति खुद नहीं तय कर पाता है उसकी कीमत वह फसल को खरीदने वाला तय करता है। जिसके कारण किसानों का शोषण किया जाता है और उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य प्रदान नहीं किया जाता है आप यह भली-भांति जानते होंगे कि जब भी कोई कंपनी किसी प्रोडक्ट का उत्पादन करती है तो उस प्रोडक्ट पर कंपनी उसका रेट लिख दिया करती है जिसके कारण उसे खरीदने वाला व्यक्ति उस सामान पर लिखी हुई मूल्य को चुकाने के लिए विवश हो जाता है परंतु किसानों के द्वारा उत्पादन किए गए अनाजों का मूल्य किसान स्वयं नहीं कर पाता है अतः खरीदने वाले लोग उनके अनाज का मूल्य पुताई करते हैं जिसके कारण किसानों को उनकी उत्पादन की गई अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है और इसी कारण से वह हमेशा गरीब ही बने रहते हैं।

5-कृषि लागत का अभाव krishi lagat ka abhav

कृषक समाज वैसे तो गरीब ही होता है जिसके कारण वह अपने खेतों में फसलों की बुवाई तो कर देता है परंतु फसलों के पोषण के लिए उचित व्यवस्था जैसे सिंचाई के साधन नई तकनीकों के द्वारा कृषि के अनेक साधन जैसे ट्रैक्टर ट्यूबवेल काटने के लिए कंपाइन इन की उचित व्यवस्था नहीं कर पाता है। भारत में तमाम कृषक समाज ऐसे भी हैं जिनके पास बुवाई के लिए भी पैसे नहीं होते हैं अतः वह बैंकों से कर्ज लेकर खेतों की बुवाई करवाते हैं तथा खाद सिंचाई इत्यादि की उचित व्यवस्था करते हैं और जब फसल तैयार होती है और उनका उत्पादन किए गए अनाजों की जब बिक्री होती है तो पता लगता है कि उनका कर्ज चुकाने भर के भी पैसे नहीं निकल पाते हैं। और अंत में नतीजा यह होता है कि किसान बैंकों के द्वारा लिया गया कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाता है और एक लज्जित जिंदगी जीने पर मजबूर हो जाता है। और तमाम किसान ऐसे होते हैं जो कर्ज लेने के डर से खेतों में सिर्फ बीजों की बुवाई कर देते हैं उसके बाद उन्हें खाद पानी की उचित व्यवस्था नहीं कर पाते हैं जिसके कारण पैदावार प्रभावित होती है और वह किसान हमेशा गरीबी के दलदल में धंसते हुए चले जाते हैं।

6-मानसून पर निर्भरता mansun per nirbharta

भारत के लगभग 50% किसान मानसून के ऊपर निर्भर होते हैं जिसके कारण जिन स्थानों पर जैसा मानसून होता है उसी तरह से फसलों की बुवाई की जाती है उदाहरण के लिए मान लीजिए उत्तरी भारत में जब जुलाई का महीना आता है तब धान की बुवाई की जाती है। क्योंकि जुलाई के महीने से लेकर सितंबर तक बारिश होती है जिसके कारण धान की फसल बोना इस समय पर काफी ज्यादा अच्छा रहता है इसलिए वह समय पर धान की बुवाई की जाती है उसी तरह अलग-अलग मौसम में अलग-अलग फसलों की बुवाई की जाती है जो कि मानसून पर ही निर्भर होते हैं आप सभी लोग यह भली-भांति जानते हैं कि मानसून पर भरोसा करना एक भगवान भरोसे ही काम होता है क्योंकि हो सकता है कभी बारिश ना भी हो तो उसके लिए कोई दूसरा ऑप्शन होना आवश्यक है इसलिए सिचाई का कोई दूसरा ऑप्शन ना होने के कारण फसल नष्ट हो जाते हैं सूख जाते हैं काफी ज्यादा हानि उठानी पड़ जाती है और किसानों का जीवन स्तर नहीं उठ पाता है।

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय Measures to take away the backwardness of Indian agriculture

ऐसा नहीं है कि भारत में कृषक समाज के जीवन स्तर को उठाने के लिए कोशिश नहीं की जा रही है परंतु भारत में तमाम ऐसे कारण है जिससे भारतीय कृषि और कृषक समाज का जीवन स्तर ऊपर नहीं उठ पा रहा है अतः भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए जिससे कृषक समाज भी अपने और अपने परिवार व बच्चों के खाने की उचित व्यवस्था कर सके उन्हें पढ़ा लिखा कर एक अच्छा इंसान बनाने में सक्षम हो सके। भारतीय में रहने वाले कृषक समाज मैं पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा सुधार दिखाई देने को मिलता है आजादी के बाद सन 1962 में हरित क्रांति योजना लागू की गई जिसके फलस्वरूप उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है अतः कुछ और भी ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिससे गरीब किसानों का जीवन स्तर में कुछ सुधार हो सके।

1-प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग prakrutik sansadhanon ka uchit upyog

  • प्रकृति ने मनुष्य को अनेक सुविधाएं उपहार में दिए हैं जिनका इस्तेमाल मनुष्य अपनी आवश्यकता अनुसार कर रहा है परंतु तमाम संसाधन ऐसे हैं जो वह नष्ट हो जाते हैं उनका सही उपयोग नहीं हो पाता है अतः प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग के द्वारा कृषि विकास में वृद्धि की जा सकती है जैसे प्रत्येक गांव में कम से कम एक तालाब होना अनिवार्य है ताकि बरसात के समय पानी बरसने पर उस तालाब में पानी एकत्र हो जाए और उस पानी के द्वारा उस तालाब के आसपास के व्यक्तियों को सिंचाई की उचित व्यवस्था मिल पाए।
  • सरकार के द्वारा प्रत्येक किसानों को फ्री सोलर पंप प्रदान किया जाए जिसके द्वारा वह आत्मनिर्भर बन सके और फसलों को नष्ट होने से बचा सके क्योंकि सूर्य ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है जो कभी भी नष्ट नहीं होता है अतः सौर ऊर्जा के द्वारा उत्पन्न की गई बिजली के द्वारा किसान अपनी फसलों को पानी प्रदान कर पाए।

2-नहर परियोजनाओं का विकास Nahar pariyojnaon ka Vikas

भारत में नहर परियोजना का तेजी से विकास किया जाना चाहिए क्योंकि नहर परियोजना के द्वारा अनेक समस्याओं से निजात मिल सकती है। अभी पिछले साल ही आपने देखा कि बिहार में बाढ़ ने किस तरह से आतंक मचा रखा था अतः इससे छुटकारा पाने के लिए सबसे अच्छी व्यवस्था नहर परियोजनाएं हैं। नाहर परियोजनाओं के माध्यम से बड़े स्तर पर बरसात के पानी को एकत्रित कर लिया जाता है जिसके कारण बाढ़ पर तो नियंत्रण पाया ही जाता है साथ ही साथ प्रदेश के अलग-अलग भागों में जहां पर सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है उन स्थानों पर नहर की खुदाई की जाती है तथा जब फसलों को पानी की आवश्यकता होती है ऐसे समय पर किसानों को पानी उपलब्ध कराया जाता है जिसके कारण करोड़ों किसानों को काफी लाभ मिलता है उस पानी के माध्यम से किसान अपने खेतों की सिंचाई करते हैं तथा उनकी फसलें फसलों की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। इसलिए नहर परियोजनाएं का विकास होने से रोजगार के अवसर भी काफी ज्यादा मात्रा में पड़ जाते हैं क्योंकि अत्यधिक पानी एकत्र हो जाने के कारण मछली पालन एक अच्छा व्यवसाय है जिसके द्वारा तमाम व्यक्तियों को रोजगार मिल पाएगा।

3-जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण management over inhabitants progress

भारत में जनसंख्या वृद्धि भारत के विकास के लिए एक अभिशाप बन गया है क्योंकि भारत के किसान जितना भी उत्पादन करते हैं वह भारत की संपूर्ण जनसंख्या के लिए ऊंट के मुंह में जीरा की तरह हो जाता है इसलिए फसलों का कीमत नहीं पढ़ पाता है क्योंकि यदि अनाज की कीमत बढ़ा दी जाए तो भारत में तमाम ऐसे भूखे नंगे व्यक्ति हैं जो भूखे मरने लग जाएंगे उन्हें खाने के लिए भोजन नहीं मिल पाएगा इस कारण से सरकार अनाज के रेट को नहीं कहा पा रही है परंतु सरकार को जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए एक ठोस कानून बनाया जाना चाहिए ताकि भारत और भारत के प्रत्येक नागरिक का जीवन स्तर ऊपर उठे जिसके कारण कृषक समाज भी अपनी फसलों का सही कीमत प्राप्त कर सके और एक ऊंचे स्तर की जीवन जीने के लिए सक्षम हो सकें। जनसंख्या का इतनी तेजी से विकास किसी भी देश के लिए लाभदायक सिद्ध नहीं हो सकता है रिसर्च 2021 के अनुसार भारत की जनसंख्या 140 करोड़ पहुंच चुकी है जिससे काफी का गंभीर समस्या हो सकती है जनसंख्या वृद्धि से अनेक प्रकार की समस्याएं जन्म ले लेती हैं।

4-चकबंदी chakbandi

भारत में अधिकतर छोटे किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण खेत के छोटे-छोटे टुकड़े हो रहे हैं जिससे मेड के लिए अधिक जमीन खपत हो रही है। और जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होने के कारण उनमें ट्रैक्टर कंपाइन इत्यादि जो आधुनिक तकनीक के द्वारा बनाए गए हैं उनका उपयोग नहीं किया जा सकता है जिसके परिणाम स्वरुप यह होता है कि उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती है इसलिए सरकार को समय-समय पर चकबंदी की व्यवस्था जरूर लागू करनी चाहिए ताकि जिन गरीब किसानों के छोटे-छोटे खेत अलग-अलग टुकड़ों में होते हैं वह सभी टुकड़ों को मिलाकर एक बड़ा खेत ले सकें और अपनी क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकी के अनुसार खेती करने में सक्षम हो सकें।

5- जागरूकता jagrukta

भारतीय किसान अभी भी अपने पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे रीति रिवाज के अनुसार अपनी खेती को भी पुरानी तकनीक के अनुसार कर रहे हैं। इसके लिए जागरूकता सबसे ज्यादा आवश्यक है क्योंकि जब कृषक समाज जागरूक होगा तभी वह कोई ठोस कदम उठाने के लिए सक्षम हो सकता है ग्रामीण समाज में तमाम किसान ऐसे हैं जो बैंकों से कर्ज लेने के लिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि कर्ज लेने पर इन पर ब्याज देना होता है इसलिए अधिक दिनों तक पैसा ना देने के कारण यह मूलधन के 2 गुना हो जाएगा और इस कर्ज को चुका पाना हमारे लिए असंभव हो जाएगा जिसके कारण रहा सहा हमारे खेत भी सरकार हड़प लेगा इसलिए वह कर्ज नहीं ले पाते हैं परंतु उन्हें जागरूक करने के लिए जगह-जगह कैंप लगाने चाहिए ताकि कोई भी किसान अंधेरे की जिंदगी ना जिए उन्हें उजाले की तरफ ले जाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो उनका उचित मार्गदर्शन कर सके इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में एक ऐसा गठन बनाना चाहिए जो प्रत्येक क्षेत्र में किसानों को एकत्रित करके उन्हें जागरूक बनाएं और उनके मन में होने वाली शंका और डर को समाप्त करें जिससे वह पोस्ट कदम उठा सके और अपनी खेती में अच्छी लागत लगाकर अच्छी पैदावार उठा सके।

6-विपणन की उचित व्यवस्था correct advertising and marketing system

भारत में तमाम गरीब किसान ऐसे हैं जिनके पास छोटे-छोटे खेत हुए हैं और उनकी पैदावार भी कम होती है परंतु फिर भी वह अपनी घर की अनेक आवश्यकताएं की पूर्ति के लिए कुछ अनाज को बेच देते हैं परंतु उन्हें अपनी अनाज का सही मूल्य नहीं मिल पाता है क्योंकि अनाज मंडी काफी ज्यादा दूर होती है जिससे ले जाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं होती है अतः वह मजबूर होकर डीलर के माध्यम से अपने अनाज को बेच देते हैं जिसके कारण डीलर उन्हें उनके अनाज के सही मूल्य नहीं देते हैं इसलिए सरकार को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिस प्रकार से मोबाइल इंटरनेट के माध्यम से हम अपने घर पर पिज्जा बर्गर जूते कपड़े चश्मा इत्यादि मंगा लेते हैं उसी प्रकार से मार्केटिंग की कुछ इस प्रकार से व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे मोबाइल के ऑनलाइन माध्यम से किसानों के पास अनाज खरीदने के लिए मंडी के खरीदार उनके पास आकर उनके अनाज को खरीदें और उनका उचित मूल्य में दे।

निष्कर्ष conclusion

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात ही निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय किसान की दशा बहुत ही दयनीय होती जा रही है क्योंकि अत्यधिक मंगाई होने के कारण वह महंगाई के दबाव से दबते जा रहे हैं। किसानों के द्वारा उत्पादन की गई अनाजों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है जिसके कारण उनकी करीबी समाप्त नहीं हो पाती है कुछ ऐसे भी कारण है जिसके जिम्मेदार किसान भी हैं जैसे पुरानी पीढ़ी के अनुसार खेती करना बैलो के द्वारा जुदाई करना, इत्यादि तमाम समस्याएं ऐसे भी हैं जो किसान जानबूझकर करता है परंतु वह करें भी तो क्या करें उसके सामने गरीबी जैसी विकराल समस्या होती है जिसके कारण को उचित संसाधनों को नहीं ले पाता है और मजबूर होकर वह अपनी परंपरागत खेती करता रहता है कृषक समाज के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए सरकार ने अनेक प्रकार के प्रयास किए हैं परंतु फिर भी कृषक समाज का जीवन स्तर नहीं पाया है समाज के जीवन सुधारने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे कृषक समाज के जीवन स्तर में भी सुधार हो सके और हमारा भारत एक विकसित देशों की लाइन में खड़ा होने के लिए तत्पर हो सके।

Disclaimer

This website is for data functions solely. We neither give any copyrighted materials nor plump pirating by way of any composition on this website. nonetheless, the information and particulars we give are fluently obtainable every over the web.

JOIN TELEGRAM CLICK HERE
JOIN OUR TWITTER NEWS CLICK HERE
FOLLOW ON TUMBLR CLICK HERE
SEND FRIEND REQUEST OUR FB ACCOUNT CLICK HERE
OKEEDA HOMEPAGE CLICK HERE

Okeeda covers newest information and breaking occasions throughout the globe, offering data on the subjects together with sport, leisure, India and world information, viral, tech, auto and many others.

Also Read:   दहेज प्रथा क्या हैं? दहेज प्रथा की समस्याएं, कारण और निवारण -dahej pratha kya hai-dowry system in hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

What is the Cost of Ventilation Systems in New Zealand?

What is the Cost of Ventilation Systems in New Zealand?

Is It Dry Day Today on September 9 for Anant Chaturdashi 2022 in India? See if Alcohol Will Be Available for Sale in Eating places, Bottle Outlets, Pubs and Hotels Across the Country on Day of Ganesh Visarjan 

Is It Dry Day Today on September 9 for Anant Chaturdashi 2022 in India? See if Alcohol Will Be Available for Sale in Eating places, Bottle Outlets, Pubs and Hotels Across the Country on Day of Ganesh Visarjan