अहिंसा का अर्थ which means of nonviolence
अहिंसा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें आ उपसर्ग मैं हिंसा जोड़ दिया जाता है। अतः आ का अर्थ होता है नहीं और हिंसा का अर्थ होता है किसी जीव को दुख तकलीफ पहुंचाना। इस प्रकार से दोनों को मिलाकर अहिंसा बनता है और इसका अर्थ हो जाता है कि किसी को दुख तकलीफ नहीं पहुंचाना। हिंसा में उपसर्ग लग जाने के कारण इसका अर्थ विपरीत हो जाता है। साधारण और तुम्हें हम यह कह सकते हैं कि सी व्यक्ति के प्रति या किसी जीव के प्रति सकारात्मक विचार या सकारात्मक व्यवहार को अहिंसा कहा जाता है। अहिंसा मानव समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि अहिंसा के द्वारा सामाजिक विघटन स्थिति उत्पन्न नहीं होती है।
अहिंसा की परिभाषा definition of ahinsa
किसी प्राणी मात्र को तन मन और वाणी तथा विचार के द्वारा कोई तकलीफ या नुकसान ना पहुंचा ना ही अहिंसा कहा जाता है।
किसी भी प्राणी के प्रति सकारात्मक विचार को अहिंसा कहा जाता है।
साधारण अर्थों में कहा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति किसी प्राणी को कोई तकलीफ नहीं देता है तो उसे अहिंसा कहा जाता है आप बड़ी ही सरलता से समझ सकते हैं कि हिंसा ही अहिंसा का विपरीत या विलोम शब्द है हिंसा का अर्थ होता है किसी प्राणी की हत्या करना मारना पीटना तथा क्षति पहुंचाना अपने वचनों के द्वारा प्रताड़ित करना इत्यादि प्रक्रिया को हिंसा कहा जाता है अतः यह सभी प्रक्रिया को नहीं करने को ही अहिंसा का रूप दिया जाता है।
अहिंसा के प्रकार varieties of ahinsa
आधुनिक युग में व्यक्ति अनेक प्रकार की हिंसा या करता है परंतु उस व्यक्ति के मन में जरा सी भी संकोच की भावना नहीं होती है अतः उस व्यक्ति को नरक में भी जगह नहीं मिलती है इस प्रकार समाज में कहावत प्रचलित है। जिस प्रकार से हिंसा के अनेक रूप होते हैं उसी प्रकार से अहिंसा के भी अनेक रूप पाए जाते हैं।
आहिंसा के दो रूप पाए जाते है।
1- स्थूल के अंतर्गत किसी जीव की हत्या करना का डर ना मारना पीटना प्रताड़ित करना या अपनी स्वार्थ के अनुसार किसी प्राणी के जान ले लेना इत्यादि इंसान स्थूल हिंसा कहलाती है और इन सभी प्रवृत्ति को ना करने की प्रक्रिया को स्थूल अहिंसा कहा जाता है।
2- सूक्ष्म के अंतर्गत किसी प्राणी को गाली देना घृणा करना अपनी बातों से उसका तिरस्कार करना उसकी इज्जत पर कीचड़ उछालना इत्यादि क्रियाएं सूक्ष्म हिंसा कहलाती है। अतः इन सभी क्रियाओं को ना करने की प्रक्रिया को सूक्ष्म अहिंसा कहा जाता है।
दोनों इंसानों को पढ़ने के पश्चात यह पता चलता है कि समाज में अनेक प्रकार के व्यक्ति रहते हैं और उन व्यक्तियों की अलग-अलग मानसिकता पाई जाती है अतः कुछ व्यक्ति का मानसिक प्रवीण हिंसा की ओर अग्रसर हो जाता है जिसके कारण वह लड़ाई झगड़ा मारपीट कत्ल इत्यादि करने पर उतारू हो जाते हैं और इसके परिणाम स्वरूप समाज में सामाजिक विघटन की प्रक्रिया शुरू होने लग जाती है। कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो यह सभी कार्य ना कहीं करते हैं परंतु वह मन ही मन एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या घृणा तथा मन में क्रोध की भावना को रखते हैं और समय आने पर अपने कठोर वचनों के द्वारा हिंसा करते हैं। अता इन दोनों प्रकार की हिंसा ओं को ना करने वाला व्यक्ति अहिंसा को प्राप्त कर लेता है।
अहिंसा परमो धर्मा का अर्थ which means of ahinsa parmo Dharma
अहिंसा परमो धर्मा शब्द बहुत ही प्राचीन शब्द है जो अनेक प्रकार के अस्पतालों स्कूलों तथा सार्वजनिक जगहों पर लिखा हुआ दिखाई देता है जिसे बहुत व्यक्ति सिर्फ एक वाक्य समझते हैं परंतु इस वाक्य का कितना विस्तृत अर्थ होता है इसे नहीं समझते हैं। यदि अहिंसा परमो धर्मा शब्द का आचरण प्रत्येक व्यक्ति करने लग जाए तो यह धरती स्वर्ग से भी ज्यादा बेहतर बन सकती है। प्रत्येक जिओ का जन्म परमपिता परमेश्वर की कृपा से हुई है अतः किसी एक व्यक्ति का कोई भी अधिकार नहीं बनता है कि वह परमपिता परमेश्वर के द्वारा बनाए गए अन्य जीवो को प्रताड़ित करें या उनका शोषण करें। अतः प्रत्येक जीव के साथ दया क्षमा और लड़ाई झगड़ा ना करना मारपीट ना करना जिसे अहिंसा कहा जाता है इसे अपनाना चाहिए। अहिंसा परमो धर्मा इस वाक्य को हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था। महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के पद को अपनाकर भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया। अतः महात्मा गांधी के अनुसार अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म बताया जाता है। यदि कोई व्यक्ति हिंसा ना करता हूं तो वह सभी पापों से वंचित है अतः उसे और किसी भी दान धर्म की आवश्यकता नहीं है।
अहिंसा के लाभ advantages of nonviolence
अहिंसा बहुत ही व्यापक शब्द है जिसका एक विस्तृत अर्थ भी होता है जिसे मैंने आपको अपने पोस्ट में बताया अतः अहिंसा के द्वारा हमारे समाज और मानव जाति के लिए क्या-क्या लाभ होते हैं आइए जानते हैं।
- अहिंसा के द्वारा मस्तिष्क स्वच्छंद और शोक रहित हो जाता है जिससे मस्तिष्क में किसी प्रकार का रोग होने की आशंका नहीं रहती है।
- अहिंसा के द्वारा लड़ाई झगड़े धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।
- अहिंसा के द्वारा लोगों में प्रेम की भावना जागृत होती है।
- अहिंसा के द्वारा समाज में स्थिरता बनी हुई रहती है जिसके कारण सामाजिक विघटन की प्रक्रिया उत्पन्न नहीं होती है।
- जहां पर अहिंसा होती है वहां पर भगवान का वास होता है ऐसा लोगों के द्वारा कहा जाता है।
- अहिंसा के द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या का हल चुटकियों में निकाला जा सकता है।
- अहिंसा की प्रवृत्ति के द्वारा आसपास खुशनुमा का माहौल रहता है और रोना चिल्लाना सुनाई नहीं देता है।
- अहिंसा की भावना के द्वारा मन में एक दूसरे के प्रति सहायता की भावना जागृत होती है जो समाज का निर्माण करने में अत्यंत सहायक होती है।
निष्कर्ष conclusion
संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि अहिंसा प्रत्येक जीव के लिए बहुत ही आवश्यक होता है अहिंसा के द्वारा व्यक्ति के मस्तिष्क का सकारात्मक विकास होता है तथा नकारात्मक प्रवृति का नाश होता है। हिंसा सिर्फ मानव ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं में भी पाया जाता है जैसे शेर एक हिंसक पशु है जो दूसरे पशुओं को मार डालता है परंतु पशु के पास इतना मस्तिष्क नहीं होता है कि वह अहिंसा को समझ सके और उसे अपना सके परंतु मनुष्य के पास मस्तिष्क होता है परंतु फिर भी जानबूझकर वह हिंसा करता है और धीरे-धीरे वह हिंसात्मक प्रकृति का बन जाता है। और प्रकृति के द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है जिसका परिणाम सभी को भुगतना पड़ता है। कोरोना महामारी इसका जीता जागता उदाहरण दिखाई देता है।
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